Saturday, June 26, 2010

मेरे विचार से

मेरे विचार से गीत आनंद की परम अभिव््यकित होते हैं। जब व्यक्ति अति आनंद में रहता है तो गाने लगता है भले ही वह जबान से गाये या दिल ही दिल में गुनगुनाए

Friday, June 25, 2010

शुक्रिया

दोस्तो जल्द ही अपनी नयी टिप्पणियों के साथ मिलता हूं। आपने रुचि दिखायी, शुक्रिया।

Saturday, June 19, 2010

गीत ही जीवन

जो गा नहीं सकता वह सच्च्चे अर्थों में जी नहीं सकता, ऐसा मुझे अक्सर लगता है। आवाज चाहे जैसी हो पर गाओ और जियो।