Saturday, June 19, 2010

गीत ही जीवन

जो गा नहीं सकता वह सच्च्चे अर्थों में जी नहीं सकता, ऐसा मुझे अक्सर लगता है। आवाज चाहे जैसी हो पर गाओ और जियो।

1 comment:

  1. जो गा नहीं सकता वह सच्चे अर्थों में जी नहीं सकता,आवाज चाहे जैसी हो पर गाओ और जियो।

    वाह ओम प्रकाश मिश्र जी !

    शस्वरं पर ज़रूर विजिट करके अपनी बात कहिएगा ।
    शुभकामनाएं ।
    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    शस्वरं

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